17 सितंबर 2024 को लेबनन में एक भयानक हादसा हुआ जिसने हर किसी के दिल में खौफ भर दिया। दोपहर करीब 3:30 बजे, अचानक हजारों पेजर डिवाइस जोरदार धमाके से फट पड़ीं। ये डिवाइस हिजबुल्ला ग्रुप के मेंबर्स द्वारा एक दूसरे से कम्युनिकेट करने के लिए इस्तेमाल की जाती थीं। उस वक्त कोई बाजार में था, कोई घर पर, तो कोई किसी महफिल में बैठा था।
हिजबुल्ला के मेंबर्स का कहना है कि उनकी पेजर डिवाइस में अचानक कोई मैसेज रिसीव हुआ और इसके साथ ही जितनी भी डिवाइसेज उस वक्त ऑन थीं, वे जोरदार धमाके से फट पड़ीं। इस हादसे में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कुछ बच्चे भी शामिल हैं, जबकि 3000 से ज्यादा लोग विभिन्न क्षेत्रों में गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
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लेबनन में इमरजेंसी
धमाके लेबनन में हुए, लेकिन इनकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। लेबनन में इमरजेंसी डिक्लेयर कर दी गई। हर तरफ भगदड़, एंबुलेंस की आवाजें और हॉस्पिटल्स में इतनी भीड़ हो गई कि बेड्स ही नहीं, कुर्सियां भी कम पड़ गईं। स्थिति अभी काबू में नहीं आई थी कि 18 सितंबर 2024 को हिजबुल्ला के हैंड-हेल्ड रेडियो सेट्स भी एक साथ धमाके से फट पड़े। हिजबुल्ला ने इस घटना के लिए अपने सबसे बड़े दुश्मन, इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है।
पेजर डिवाइस: कैसे काम करती हैं?
पेजर डिवाइस एक वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम के जरिए काम करती है। इसमें किसी सिम कार्ड या मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं होता। ये डिवाइस केवल टेक्स्ट मैसेज रिसीव कर सकती हैं। हिजबुल्ला का मानना था कि इजराइल उनकी सेलफोन नेटवर्क्स को हैक कर लोकेशन ट्रैक कर सकता है, इसीलिए उन्होंने पेजर डिवाइसेज को सबसे सुरक्षित विकल्प के रूप में चुना।
धमाकों के पीछे का राज
फटे हुए पेजर की जांच में ताइवान बेस्ड गोल्ड अपोलो कंपनी का नाम सामने आया, लेकिन कंपनी ने इस दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने B.A.C नामक कंपनी को अपने ब्रांड का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। पेजर के पीछे लगे एक्सप्लोसिव सिस्टम का रहस्य अब तक बना हुआ है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि ये प्लानिंग काफी पहले से हो रही थी।
B.A.C कंपनी की जांच
जर्मन न्यूज़ एजेंसी DW ने जब B.A.C के रजिस्टर शुदा ऑफिस का दौरा किया, तो उन्हें वहां एक छोटे से घर के बाहर A4 पेपर पर B.A.C का नाम लिखा मिला। अब ये संदेह किया जा रहा है कि ये एक शेल कंपनी हो सकती है, जो किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए इस्तेमाल की जा रही थी।
हिजबुल्ला के रेडियो सेट्स भी बने निशाना
अगले दिन, हिजबुल्ला के वॉकी-टॉकी सेट्स भी धमाकों का शिकार हुए। ये रेडियो सेट्स ICOM कंपनी द्वारा बनाए गए थे, लेकिन कंपनी ने 2014 में इनका निर्माण बंद कर दिया था। हिजबुल्ला ने ये सेट्स कुछ महीने पहले ही खरीदे थे।
इजराइली एजेंसी पर आरोप
लेबनीज सिक्योरिटी फोर्स का कहना है कि इजराइली एजेंसी मोसाद इस तरह के ऑपरेशंस करने में माहिर है। 2010 में भी मोसाद पर ऐसे ही एक ऑपरेशन का इल्जाम लगा था, जब उन्होंने Stuxnet नामक वायरस ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को निशाना बनाने के लिए लांच किया था।
क्या हमारे मोबाइल फोन सुरक्षित हैं?
इस वाकये ने दुनिया भर में एक नई बहस छेड़ दी है। अगर पेजर और वॉकी-टॉकीज को इस तरह से निशाना बनाया जा सकता है, तो क्या हमारे मोबाइल फोन्स महफूज हैं? इस घटना ने दिखा दिया है कि अब युद्ध के तरीकों में एक खतरनाक बदलाव आ चुका है, और इससे बचना बेहद मुश्किल हो सकता है।